नगरपालिका बिजुरी में भ्रष्टाचार का जिन्न बाहर।
भुगतान के बदले कमीशन का खेल धड़ल्ले से जारी-
बिजुरी।
नगरपालिका परिषद बिजुरी एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई है, लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है। भुगतान शाखा में पदस्थ कर्मचारी तरुण मिश्रा पर कमीशनखोरी, फाइलों को दबाने और बेखौफ होकर डिजिटल माध्यम से भी पैसे वसूलने के गंभीर आरोप लगे हैं। ये आरोप ऐसे समय में सामने आया है, जब जनता में पहले से ही स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली से असंतुष्टता के भाव प्रदर्शित हो रहे हैं।
कमीशन के बिना नहीं होता भुगतान-
आरोप है कि भुगतान शाखा में सिर्फ उन्हीं फाइलों को आगे बढ़ाया जाता है, जिनमें ‘मोटा कमीशन’ मिलने की गारंटी होती है। अगर कोई ठेकेदार या व्यक्ति कमीशन देने से इनकार करता है, तो उसकी फाइल को या तो रोक दिया जाता है, या फिर स्पष्ट शब्दों में सीधे कह दिया जाता है कि ‘फाइल गुम हो गई है’ । इस बहाने से तरुण मिश्रा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता हैं।
त्यौहारों में भी नहीं रुकी मनमानी-
हाल ही में हुए त्यौहारी सीजन में यह खेल और भी खुलकर सामने आया। कुछ खास ठेकेदारों और पार्षद पतियों की फाइलों का भुगतान तो तुरंत कर दिया गया, जबकि बाकियों की फाइलें अभी भी धूल फांक रही हैं। इस मनमानी से सिर्फ ठेकेदार ही नहीं, बल्कि अन्य और लोग आक्रोशित है।
डिजिटल लेन-देन के आरोप-
आरोप सिर्फ नकद कमीशन तक सीमित नहीं है। बताया जा रहा है कि तरुण मिश्रा फोन-पे जैसे डिजिटल माध्यमों से भी बिना किसी डर के पैसे लेते हैं। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनकी मांग है कि तरुण मिश्रा की पत्नी ज्योत्सना मिश्रा के बैंक खातों की जांच की जाए, जिससे इस ‘डिजिटल कमीशनखोरी’ का पूरा सच सामने आ सके।
प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल-
नगरपालिका में इस तरह की अपारदर्शी कार्यप्रणाली कोई नई बात नहीं है, लेकिन नगर कि जनता अब पूछ रही है कि, क्या जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करेंगे, क्या फाइलों के ‘गुम होने’ के पीछे का सच उजागर होगा, या हमेशा की तरह प्रशासन इस बार भी आंखें मूंद लेगा।
पूरे नगर में यही चर्चा है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि कठोर कार्रवाई की जरूरत है, जिससे नगर कि जनता का भरोसा प्रशासन पर दोबारा कायम हो सके।