संबल योजना में बड़ा घोटाला, मृतक हितग्राही को अपात्र घोषित कर 2 लाख की अनुग्रह राशि हड़पी।

ऑपरेटर पर लगे गंभीर आरोप-
बिजुरी।
शिवराज सरकार की महत्वाकांक्षी संबल योजना में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। बिजुरी नगर पालिका में पदस्थ तत्कालीन संबल योजना ऑपरेटर सकील मंसूरी पर एक मृतक हितग्राही को जानबूझकर अपात्र घोषित करने और उसके परिवार को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि से वंचित करने का गंभीर आरोप लगा है। इस आरोप के बाद नगर पालिका प्रशासन और संबल योजना की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या है पूरा मामला-
वार्ड क्रमांक 8 के निवासी श्रवण कुमार केवट ने एक लिखित शिकायत में बताया कि उनके पिता, स्वर्गीय लक्ष्मी प्रसाद केवट, संबल योजना के पात्र हितग्राही थे। उनके निधन के बाद जब परिवार ने अनुग्रह राशि के लिए आवेदन किया, तो उन्हें पता चला कि ऑपरेटर मंसूरी ने जानबूझकर उनके पिता को अपात्र घोषित कर दिया है।
श्रवण कुमार के अनुसार, उन्होंने ऑपरेटर मंसूरी से कई बार अपने पिता का सत्यापन करवाने का अनुरोध किया था, लेकिन हर बार उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि “मैं पार्षदों और ठेकेदारों की फाइल में व्यस्त हूँ, बाद में आना।” यहां तक कि 181 सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बाद भी ऑपरेटर ने काम करने की बजाय शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 6 अगस्त को जब स्टेटस चेक किया गया तो लक्ष्मी प्रसाद पात्र दिख रहे थे, लेकिन ठीक अगले दिन 7 अगस्त को जानबूझकर उनके स्टेटस को “लोकल बॉडी द्वारा अपात्र” दिखा दिया गया। श्रवण कुमार का आरोप है कि यह पूरी हेराफेरी ऑपरेटर मंसूरी ने पैसों के लालच में की है।
मानसिक और आर्थिक संकट में परिवार
श्रवण कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी माता का निधन पहले ही हो चुका है और पिता की मृत्यु के बाद वे पूरी तरह अकेले हैं। परिवार में आय का कोई साधन नहीं है और इस घोटाले ने उन्हें मानसिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया है। 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि इस गरीब परिवार के लिए जीवन का एकमात्र सहारा थी, जिससे उन्हें वंचित कर दिया गया है।
उच्च स्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग-
इस गंभीर मामले को लेकर श्रवण कुमार ने नगर पालिका अधिकारी से मांग की है कि, आरोपी ऑपरेटर सकील मंसूरी को तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाए।
उसके खिलाफ नगर पालिका अधिनियम के तहत सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय दिलाया जाए।
इस शिकायत की प्रतियां एसडीओ, कलेक्टर अनूपपुर, जिला नगरीय विकास प्राधिकरण, आयुक्त शहडोल संभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय सहित प्रधानमंत्री कार्यालय तक भेजी गई हैं। यह मामला अब राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है।
अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस गंभीर मामले पर कोई ठोस कदम उठाता है या यह शिकायत भी सरकारी फाइलों में धूल खाती रह जाएगी?